भाजपा की सहयोगी अपना दल ने जाति आधारित जनगणना और ओबीसी कल्याण के लिए अलग मंत्रालय की मांग की

भाजपा की सहयोगी अपना दल ने जाति आधारित जनगणना और ओबीसी कल्याण के लिए अलग मंत्रालय की मांग की

छवि स्रोत : फ़ाइल छवि/पीटीआई

भाजपा की सहयोगी अपना दल ने जाति आधारित जनगणना और ओबीसी कल्याण के लिए अलग मंत्रालय की मांग की

अगले साल उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए भाजपा की सहयोगी अपना दल (एस) ने रविवार को ओबीसी के कल्याण के लिए एक अलग केंद्रीय मंत्रालय और समुदाय की सही आबादी का पता लगाने के लिए देश भर में जाति आधारित जनगणना की मांग की। उत्तर प्रदेश स्थित पार्टी अपना दल (एस) जेडी(यू) के बाद सत्तारूढ़ भाजपा की दूसरी सहयोगी है जिसने जाति आधारित जनगणना की मांग उठाई है।

यह मांग उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले महत्वपूर्ण हो गई है, जहां मतदाताओं का सबसे बड़ा हिस्सा ओबीसी वर्ग से आता है।

अपना दल (एस) के कार्यकारी अध्यक्ष आशीष पटेल ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘प्रत्येक वर्ग, विशेषकर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की सटीक जनसंख्या का पता लगाने के लिए जाति आधारित जनगणना समय की मांग है।’’

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद सभी जनगणनाओं में एससी और एसटी की जनसंख्या की गणना की गई है, लेकिन ओबीसी की नहीं।

उन्होंने कहा, ‘‘परिणामस्वरूप ओबीसी आबादी का कोई उचित अनुमान नहीं है। इसलिए मैं सरकार से अनुरोध करता हूं कि अगली जनगणना जाति आधारित होनी चाहिए ताकि प्रत्येक वर्ग, विशेषकर ओबीसी की सही आबादी का पता लगाया जा सके।

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केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के पति आशीष पटेल ने कहा, “इससे यह सुनिश्चित होगा कि किसी विशेष जाति वर्ग का हिस्सा उसकी जनसंख्या के आधार पर होगा।”

उन्होंने कहा कि पार्टी यह भी मांग करती है कि ओबीसी के कल्याण के लिए एक अलग मंत्रालय होना चाहिए।

आशीष पटेल ने कहा, “केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की तर्ज पर ओबीसी के कल्याण के लिए एक अलग और समर्पित मंत्रालय होना चाहिए।”

अपना दल (एस) 2014 से एनडीए का घटक दल है। पार्टी के संस्थापक स्वर्गीय सोनेलाल पटेल की बेटी अनुप्रिया पटेल को नरेंद्र मोदी सरकार के हालिया कैबिनेट विस्तार में केंद्रीय मंत्री बनाया गया।

वह कुर्मी जाति से आती हैं जो ओबीसी वर्ग में आती है। उनकी पार्टी का करीब 50 विधानसभा सीटों पर प्रभाव है, जिनमें से ज्यादातर पूर्वी उत्तर प्रदेश में हैं।

विभिन्न राजनीतिक दलों के अलावा, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने इस वर्ष अप्रैल में सरकार से भारत की जनगणना 2021 के हिस्से के रूप में ओबीसी की जनसंख्या पर डेटा एकत्र करने का आग्रह किया था।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2018 में 2021 की जनगणना में पहली बार ओबीसी पर डेटा एकत्र करने की परिकल्पना की थी।

हालांकि, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने इस साल 10 मार्च को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि आजादी के बाद भारत ने नीतिगत तौर पर यह निर्णय लिया कि अनुसूचित जातियों और जनजातियों के अलावा अन्य जातियों की जनसंख्या की गणना नहीं की जाएगी।

जनगणना में उन जातियों और जनजातियों की गणना की जाती है जिन्हें संविधान (अनुसूचित जातियां) आदेश, 1950 और संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश, 1950 के अनुसार अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के रूप में विशेष रूप से अधिसूचित किया गया है।

2021 की जनगणना पिछले साल अप्रैल से शुरू होने वाली थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण शुरू नहीं हो सकी।

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