महाराष्ट्र में गुरुवार, 12 सितंबर को शिवसेना विधायक यामिनी जाधव द्वारा मुस्लिम महिलाओं को बुर्का बांटने का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिससे विवाद खड़ा हो गया है। सत्तारूढ़ सहयोगी भाजपा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह उनका विशेषाधिकार है, लेकिन पार्टी इस तरह की “तुष्टिकरण की राजनीति” का समर्थन नहीं करती है। बायकुला के भिंडी बाजार क्षेत्र से विधायक जाधव एक ऐसे निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं, जहां मुस्लिम आबादी काफी है।
वायरल वीडियो में से एक में जाधव बुर्का बांटती नजर आ रही हैं, जबकि दूसरे में वह कहती नजर आ रही हैं कि यह वितरण आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर नहीं किया जा रहा है। उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि अगर विपक्ष को लगता है कि बुर्का और हिजाब बांटने का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय का विश्वास हासिल करना है, तो यह कोई राजनीतिक स्टंट नहीं है।
पीटीआई के अनुसार, टिप्पणी के लिए संपर्क करने के कई प्रयासों के बावजूद, यामिनी जाधव और उनके पति यशवंत जाधव (शिवसेना नेता) दोनों ही अनुपलब्ध रहे। मुंबई भाजपा अध्यक्ष आशीष शेलार ने इस कदम की आलोचना करते हुए कहा, “वह जो चाहे कर सकती हैं, लेकिन भाजपा बुर्का बांटने जैसी तुष्टिकरण की राजनीति का समर्थन नहीं करती है।”
प्रतिद्वंद्वी शिवसेना (यूबीटी) की प्रवक्ता सुषमा अंधारे ने भी स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जाधव को इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि वह दलबदलुओं के उस समूह का हिस्सा हैं जो इस तरह के कृत्यों में लिप्त रहते हुए भी हिंदुत्व को कायम रखने का दावा करते हैं।
पृष्ठभूमि: लोकसभा चुनाव में हार
दिलचस्प बात यह है कि बायकुला विधानसभा सीट दक्षिण मुंबई लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है, जहां से यूबीटी शिवसेना के अरविंद सावंत ने जीत हासिल की थी। इस निर्वाचन क्षेत्र में अल्पसंख्यकों का एक बड़ा वोट है, जिसने उनकी जीत में अहम भूमिका निभाई। इसके विपरीत, यामिनी जाधव, जो पहले उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के गुट से जुड़ी थीं, बाद में एकनाथ शिंदे के खेमे में शामिल हो गईं। जाधव ने लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन अरविंद सावंत से 50,000 से अधिक मतों से हार गईं, जिससे न केवल सीट बल्कि अपने स्थानीय क्षेत्र में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
बुर्का बांटे जाने की घटना ने महाराष्ट्र में चल रहे राजनीतिक तनाव को और बढ़ा दिया है, खासकर राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर। जहां शिवसेना (शिंदे गुट) इस कदम का बचाव कर रही है, वहीं विपक्ष और सत्तारूढ़ सहयोगी भाजपा ने इस कृत्य के पीछे राजनीतिक मकसद को लेकर चिंता जताई है।