अरविंद केजरीवाल को बड़ा झटका, आबकारी नीति मामले में दिल्ली हाईकोर्ट से जमानत नहीं

अरविंद केजरीवाल को बड़ा झटका, आबकारी नीति मामले में दिल्ली हाईकोर्ट से जमानत नहीं


छवि स्रोत : पीटीआई दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार (5 अगस्त) को आबकारी नीति मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका खारिज कर दी, जो आप नेता के लिए बड़ा झटका है। अदालत ने 29 जुलाई को केजरीवाल और सीबीआई के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद आप नेता की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। उच्च न्यायालय ने 17 जुलाई को आबकारी नीति से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

जमानत याचिका के संबंध में अदालत ने इसका निपटारा कर दिया है तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आगे की राहत के लिए निचली अदालत में जाने का विकल्प दिया है।

अदालत में क्या तर्क प्रस्तुत किये गये?

उनकी गिरफ़्तारी को चुनौती देते हुए केजरीवाल के वकील ने तर्क दिया कि यह एक “बीमा गिरफ़्तारी” थी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह जेल से बाहर न निकल सकें और जेल के अंदर ही रहें। उन्होंने केजरीवाल की गिरफ़्तारी को “दिखावा” बताया और तर्क दिया कि सीबीआई उन्हें गिरफ़्तार नहीं करना चाहती थी और उनके पास उन्हें हिरासत में लेने के लिए कोई सामग्री नहीं थी।

सीबीआई के वकील ने केजरीवाल की दोनों दलीलों का विरोध किया और कहा कि उनकी गिरफ़्तारी को “बीमा गिरफ़्तारी” कहना अनुचित है। उन्होंने यह भी कहा कि केजरीवाल आबकारी नीति घोटाले के “सूत्रधार” थे और अपराध में उनकी संलिप्तता साबित करने के लिए सबूत मौजूद हैं।

केजरीवाल की गिरफ्तारी और उनकी जमानत याचिका

केजरीवाल को सीबीआई ने 26 जून को तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था, जहां वे अभी भी प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज किए गए मनी लॉन्ड्रिंग मामले में न्यायिक हिरासत में बंद हैं। 21 मार्च को ईडी द्वारा गिरफ्तार किए गए मुख्यमंत्री को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 20 जून को ट्रायल कोर्ट ने जमानत दे दी थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी थी।

दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा नीति के निर्माण और क्रियान्वयन से जुड़ी कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच के आदेश देने के बाद 2022 में आबकारी नीति को रद्द कर दिया गया था।

सीबीआई और ईडी के अनुसार, आबकारी नीति में संशोधन करते समय अनियमितताएं बरती गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।

(पीटीआई इनपुट्स के साथ)

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