बेंगलुरु एआई इंजीनियर आत्महत्या मामला: बेंगलुरु एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या मामले में सिटी सिविल कोर्ट ने उनकी पत्नी निकिता सिंघानिया, उनकी मां निशा सिंघानिया और भाई अनुराग सिंघानिया को जमानत दे दी है। तीनों को पहले गुरुग्राम और प्रयागराज से गिरफ्तार किया गया था।
मामले की पृष्ठभूमि
अतुल सुभाष की आत्महत्या ने 27 पन्नों के सुसाइड नोट और उनके द्वारा छोड़े गए एक वीडियो के कारण व्यापक ध्यान आकर्षित किया है। इंजीनियर ने अपनी पत्नी और ससुराल वालों पर उत्पीड़न का आरोप लगाया, जिसके बाद पुलिस ने निम्नलिखित के तहत आरोप दर्ज किया:
धारा 108 आईपीसी: आत्महत्या के लिए उकसाना।
धारा 3(5) आईपीसी: सामूहिक दायित्व जब कई व्यक्ति एक सामान्य अपराध की साजिश रचते हैं।
कानूनी कार्यवाही
उनकी गिरफ्तारी के बाद, निकिता, निशा और अनुराग को न्यायिक हिरासत में रखा गया। बाद में उन्होंने जमानत के लिए आवेदन किया, जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया। सर्वोच्च न्यायालय का पूर्व निर्णय, जो व्यक्तियों को आत्महत्या के कृत्य से जोड़ने वाले प्रत्यक्ष साक्ष्य की आवश्यकता पर जोर देता है, ऐसे मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अतुल के साक्ष्य से मुख्य विवरण
अतुल ने एक आत्महत्या का वीडियो रिकॉर्ड किया और अपनी मृत्यु से पहले पूरे किए गए 32 कार्यों की एक सूची छोड़ दी।
उन्होंने अदालत में एक घटना का जिक्र किया जहां निकिता ने कथित तौर पर उनसे कहा था, “तुम आत्महत्या क्यों नहीं कर लेते?” दो साल पहले दिया गया यह बयान शायद मजबूत कानूनी महत्व नहीं रखता।
आत्महत्या के लिए उकसाने पर सुप्रीम कोर्ट का रुख
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि उकसाने को साबित करने के लिए आत्महत्या के समय आरोपी की संलिप्तता के प्रत्यक्ष सबूत की आवश्यकता होती है। अतुल के मामले में, उसके रिकॉर्ड उसके ससुराल वालों से तत्काल कोई संबंध नहीं बताते हैं, जिससे संभावित रूप से आईपीसी की धारा 306 के तहत उनके खिलाफ आरोप कमजोर हो जाएंगे।
घटना से पहले अतुल का जीवन
अतुल और निकिता तीन साल से अलग रह रहे थे, सिर्फ अदालती कार्यवाही के दौरान ही मुलाकात होती थी। उनके तनावपूर्ण रिश्ते ने मामले में जटिलता बढ़ा दी है, लेकिन प्रत्यक्ष सबूत के अभाव से निकिता और उसके परिवार को और राहत मिल सकती है।