स्वास्थ्य सेवा और कृषि के जीवन विज्ञान क्षेत्रों में प्रमुख दक्षता रखने वाली वैश्विक कंपनी बेयर ने 23 नवंबर को हैदराबाद के पास चांदीपा में अपने बहु-फसल प्रजनन केंद्र में अपना पहला ड्रोन परीक्षण किया। ड्रोन खेती का उद्देश्य टिकाऊ कृषि उत्पादकता, वास्तविक समय की सलाह तक पहुंच और किसानों की बेहतर फसल पैदावार और आय को सक्षम बनाना है।
स्वास्थ्य सेवा और कृषि के जीवन विज्ञान क्षेत्रों में प्रमुख दक्षता रखने वाली वैश्विक कंपनी बायर ने 23 नवंबर को हैदराबाद के पास चांदीपा में अपने बहु-फसल प्रजनन केंद्र में अपना पहला ड्रोन परीक्षण किया।
ड्रोन खेती का उद्देश्य टिकाऊ कृषि उत्पादकता, वास्तविक समय पर सलाह तक पहुंच और किसानों की बेहतर फसल पैदावार और आय को सक्षम बनाना है।
इस ऑन-ग्राउंड कार्यक्रम में कृषि कार्यों में ड्रोन के उपयोग पर क्षेत्रीय प्रदर्शन किया गया, जिसमें कृषि मंत्रालय, नागरिक उड्डयन मंत्रालय, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के प्रतिनिधियों सहित प्रतिष्ठित भागीदारों और उद्योग हितधारकों ने भाग लिया।
इस अवसर पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने संदेश साझा करते हुए कहा, “मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई कि बायर कृषि में ड्रोन के उपयोग पर एक पायलट परियोजना आयोजित कर रहा है। भारत प्रौद्योगिकी और डिजिटलीकरण में बड़ी प्रगति कर रहा है और कृषि उद्देश्यों को बढ़ाने के लिए इन्हें अपनाना किसानों की समृद्धि को मजबूत गति प्रदान करने के हमारे प्रयासों में एक कदम आगे है। कृषि में ड्रोन के उपयोग से कृषि कार्यों में क्रांतिकारी बदलाव आएगा और हमारे किसान सशक्त होंगे।”
कृषि परिदृश्य तेजी से विकसित हो रहा है, फिर भी भारत के छोटे किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें श्रम की कमी, कम उत्पादकता, कृषि प्रक्रियाओं को मशीनीकृत करने के लिए सीमित पहुंच या जानकारी, साथ ही अप्रत्याशित मौसम में उतार-चढ़ाव जैसी पर्यावरणीय चुनौतियां शामिल हैं। ड्रोन जैसी डिजिटल तकनीक अपनाने से इन बाधाओं को दूर करने और कीट, खरपतवार और रोग नियंत्रण उत्पादों के अधिक लक्षित अनुप्रयोगों का समर्थन करने में मदद मिल सकती है।
बायर पिछले कुछ वर्षों से भारतीय कृषि में ड्रोन प्रौद्योगिकी के कार्यान्वयन के लिए अनुकूल नीति ढांचा प्रस्तुत करने हेतु भारत सरकार, कृषि मंत्रालय और नागरिक उड्डयन मंत्रालय, उद्योग निकायों, नियामकों, नीति निर्माताओं और ड्रोन निर्माताओं के साथ मिलकर काम कर रहा है।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय के संयुक्त सचिव अंबर दुबे ने कहा, “नागरिक उड्डयन मंत्रालय राष्ट्र निर्माण में ड्रोन प्रौद्योगिकी के महत्व की सराहना करता है। सरकार का प्रयास एक उदार नीति ढांचा तैयार करना है जो उद्योग, शिक्षा और स्टार्टअप की अधिक भागीदारी को सुविधाजनक बनाता है। यह सहयोग जमीनी स्तर पर समाधान तैयार करेगा। हम अपने किसानों की बेहतरी के लिए कृषि-ड्रोन के व्यावसायिक अनुप्रयोग को देखने के लिए उत्सुक हैं।”
बेयर क्रॉपसाइंस लिमिटेड के सीईओ और एमडी डी नारायण ने कहा, “एशिया के अन्य छोटे किसान देशों में भी ड्रोन एप्लीकेशन काम कर रहे हैं और इनमें भारत के छोटे किसानों के साथ-साथ अर्थव्यवस्था और ग्रह के लिए भी महत्वपूर्ण मूल्य प्रदान करने की क्षमता है। हमें हैदराबाद में अपने ड्रोन परीक्षण के परिणामों पर गर्व है।”
बेयर ने एक नवोन्मेषी ड्रोन स्टार्टअप, जनरल एयरोनॉटिक्स के साथ साझेदारी की है, तथा किसानों को ड्रोन-आधारित सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए डेटा उत्पन्न करने हेतु विश्वविद्यालयों और केंद्रीय अनुसंधान संस्थानों के साथ कई आंतरिक और बाह्य अनुसंधान एवं विकास परीक्षण किए हैं।
ड्रोन खेती की प्रारंभिक उपलब्धियों के आधार पर, किसान भविष्य में धान, मक्का, गन्ना, गेहूं, सब्जियां, फल और बागान फसलों और कटाई में सहायता के लिए प्रौद्योगिकी की क्षमताओं का पता लगाने में सक्षम हो सकते हैं।