दिल्ली की भावी मुख्यमंत्री आतिशी ने नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया।
आम आदमी पार्टी (आप) की प्रमुख नेता और दिल्ली की मंत्री आतिशी 21 सितंबर को मंत्री पद की शपथ लेंगी। इस समारोह से दिल्ली सरकार में उनकी भूमिका औपचारिक हो जाएगी और पार्टी के भीतर उनकी स्थिति और मजबूत होगी।
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार आतिशी के शपथ ग्रहण के लिए 21 सितंबर की तारीख प्रस्तावित की है। सूत्रों का कहना है कि केजरीवाल का इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेज दिया गया है। हालांकि, आप विधायक दल ने अभी तक शपथ ग्रहण समारोह की तारीख की पुष्टि नहीं की है।
चुनावों से पहले दिल्ली की कमान संभालेंगी आतिशी
आप विधायक दल की सर्वसम्मति से नेता चुनी गईं आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं। आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले रणनीतिक कदम उठाते हुए केजरीवाल के इस्तीफा देने के बाद उन्होंने नेतृत्व संभाला। केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की करीबी सहयोगी आतिशी ने केजरीवाल को फिर से सीएम बनाने की कसम खाई है। उन्हें 26-27 सितंबर को होने वाले दिल्ली विधानसभा सत्र में अपनी सरकार का बहुमत साबित करना होगा।
लोगों के कल्याण पर ध्यान केन्द्रित करें
सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद आतिशी ने दिल्ली के नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने केजरीवाल का बचाव करते हुए उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को झूठा बताया और केंद्र सरकार की एजेंसियों पर उन्हें गलत तरीके से निशाना बनाने का आरोप लगाया।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
दिल्ली भाजपा और कांग्रेस दोनों ने आप सरकार की आलोचना की है। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने नेतृत्व परिवर्तन को अप्रभावी बताया, जबकि कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने आतिशी से शहर के ज्वलंत मुद्दों, खासकर महिलाओं को प्रभावित करने वाले मुद्दों को संबोधित करने का आह्वान किया। विपक्षी दल इस राजनीतिक कदम को आप पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों से ध्यान हटाने की रणनीति के रूप में देखते हैं।
दिल्ली के लिए एक नया युग?
आप सरकार के कई सुधारों, खास तौर पर शिक्षा के क्षेत्र में, का श्रेय आतिशी को जाता है। उम्मीद है कि अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनावों तक वह मुख्यमंत्री पद पर रहेंगी। उनके नेतृत्व को केजरीवाल के विजन की निरंतरता के रूप में देखा जा रहा है, साथ ही वह आप को मतदाताओं से नए सिरे से जनादेश दिलाने की दिशा में भी काम कर रही हैं।
दिल्ली की भावी मुख्यमंत्री आतिशी ने नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया।
आम आदमी पार्टी (आप) की प्रमुख नेता और दिल्ली की मंत्री आतिशी 21 सितंबर को मंत्री पद की शपथ लेंगी। इस समारोह से दिल्ली सरकार में उनकी भूमिका औपचारिक हो जाएगी और पार्टी के भीतर उनकी स्थिति और मजबूत होगी।
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार आतिशी के शपथ ग्रहण के लिए 21 सितंबर की तारीख प्रस्तावित की है। सूत्रों का कहना है कि केजरीवाल का इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेज दिया गया है। हालांकि, आप विधायक दल ने अभी तक शपथ ग्रहण समारोह की तारीख की पुष्टि नहीं की है।
चुनावों से पहले दिल्ली की कमान संभालेंगी आतिशी
आप विधायक दल की सर्वसम्मति से नेता चुनी गईं आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं। आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले रणनीतिक कदम उठाते हुए केजरीवाल के इस्तीफा देने के बाद उन्होंने नेतृत्व संभाला। केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की करीबी सहयोगी आतिशी ने केजरीवाल को फिर से सीएम बनाने की कसम खाई है। उन्हें 26-27 सितंबर को होने वाले दिल्ली विधानसभा सत्र में अपनी सरकार का बहुमत साबित करना होगा।
लोगों के कल्याण पर ध्यान केन्द्रित करें
सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद आतिशी ने दिल्ली के नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने केजरीवाल का बचाव करते हुए उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को झूठा बताया और केंद्र सरकार की एजेंसियों पर उन्हें गलत तरीके से निशाना बनाने का आरोप लगाया।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
दिल्ली भाजपा और कांग्रेस दोनों ने आप सरकार की आलोचना की है। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने नेतृत्व परिवर्तन को अप्रभावी बताया, जबकि कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने आतिशी से शहर के ज्वलंत मुद्दों, खासकर महिलाओं को प्रभावित करने वाले मुद्दों को संबोधित करने का आह्वान किया। विपक्षी दल इस राजनीतिक कदम को आप पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों से ध्यान हटाने की रणनीति के रूप में देखते हैं।
दिल्ली के लिए एक नया युग?
आप सरकार के कई सुधारों, खास तौर पर शिक्षा के क्षेत्र में, का श्रेय आतिशी को जाता है। उम्मीद है कि अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनावों तक वह मुख्यमंत्री पद पर रहेंगी। उनके नेतृत्व को केजरीवाल के विजन की निरंतरता के रूप में देखा जा रहा है, साथ ही वह आप को मतदाताओं से नए सिरे से जनादेश दिलाने की दिशा में भी काम कर रही हैं।