मायावती न्यूज़: बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने आखिरकार खुलासा कर दिया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव से उनकी अनबन क्यों हुई। बीएसपी अध्यक्ष ने कहा कि 2019 के चुनाव के बाद अखिलेश यादव ने बीएसपी नेताओं के फोन उठाने बंद कर दिए थे। इसी वजह से उन्होंने एसपी के साथ गठबंधन जारी नहीं रखा। उन्होंने कहा कि वह पार्टी के सम्मान की रक्षा करना चाहती थीं।
आगामी यूपी उपचुनाव की तैयारियों में जुटी बीएसपी ने 59 पन्नों की एक पुस्तिका छापी है। बीएसपी की इस पुस्तिका का उद्देश्य पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों को पार्टी की विचारधारा से परिचित कराना और उन्हें पार्टी की रणनीति से अवगत कराना है। यह पुस्तिका कार्यकर्ताओं के बीच बांटी जा रही है ताकि उन्हें पिछले कुछ सालों में मायावती द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण फैसलों के पीछे के कारणों की जानकारी दी जा सके। पुस्तिका का उद्देश्य मायावती और बीएसपी को दलितों की सबसे बड़ी हितैषी के रूप में पेश करना भी है। आरक्षण नीति को लेकर कांग्रेस पर बार-बार हमला करके मायावती खुद को “पिछड़ी जातियों” के लिए मसीहा के रूप में पेश करने की कोशिश कर रही हैं।
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– ‘कांग्रेस पार्टी रिपब्लिकन से ही राष्ट्रवादी विरोधी’
– ‘कांग्रेस में एससी-एसटी को खत्म करने की साजिश’@संजयजर्नो की रिपोर्ट@रोमानाईसरखान | https://t.co/smwhXURgtc #राहुल गांधी #SCSTआरक्षण #मायावती #नवीनतम अपडेट #एबीपीन्यूज pic.twitter.com/NLCCETyzHA
— एबीपी न्यूज़ (@ABPNews) 10 सितंबर, 2024
‘अखिलेश यादव ने फोन उठाना बंद कर दिया’
बुकलेट में मायावती ने दावा किया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी को 10 और एसपी को 5 सीटें मिलीं, जिसके कारण अखिलेश यादव ने न केवल बीएसपी से संबंध बनाए रखना बंद कर दिया, बल्कि बीएसपी के वरिष्ठ नेताओं के फोन भी उठाने बंद कर दिए। 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने 2014 की तरह 5 सीटों का अपना आंकड़ा बरकरार रखा, लेकिन बड़ी पार्टियों में सबसे ज्यादा नुकसान में रही, जिसका वोट शेयर 4% से अधिक कम हो गया।
इस बीच, मायावती की बीएसपी यूपी में 10 सीटें जीतकर सबसे बड़ी विजेता बनकर उभरी, पिछले चुनावों में अच्छा प्रदर्शन न करने के बाद जोरदार वापसी की। मायावती ने कहा कि पार्टी के स्वाभिमान को बनाए रखने के लिए उन्होंने एसपी के साथ गठबंधन तोड़ने का फैसला किया है।
मायावती 1995 गेस्टहाउस घटना पर
बुकलेट में मायावती ने 1995 के गेस्टहाउस कांड पर भी दुख जताया है। बुकलेट में उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि गेस्टहाउस कांड के बावजूद उन्होंने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन क्यों किया। उन्होंने कहा कि यूपी में बीजेपी को रोकने के लिए अखिलेश यादव ने उनकी पार्टी से पुरानी गलतियों को भूलकर उन्हें एक और मौका देने को कहा था। उन्होंने अपने समर्थकों से सपा के पीडीए से सावधान रहने को कहा।
2018 में जब उन्होंने सपा के साथ गठबंधन किया था, तब मायावती ने कहा था कि वह कुख्यात गेस्टहाउस कांड से ‘ऊपर उठने’ के लिए तैयार हैं।
1995 के गेस्टहाउस कांड में लखनऊ के एक गेस्टहाउस में मायावती और बीएसपी नेताओं पर हमला किया गया था। 1993 के यूपी विधानसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव और बीएसपी के संस्थापक कांशीराम ने मिलकर 176 सीटों के साथ सरकार बनाई थी। हालांकि, दो साल बाद मायावती ने मुलायम सिंह सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया, जिससे एसपी समर्थक नाराज हो गए। इस घटना के बाद गेस्टहाउस में बैठक के दौरान मायावती और बीएसपी के अन्य नेताओं को खोजने और उन पर हमला करने के लिए बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया गया।
मायावती को भाजपा नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी ने बचाया और उन्हें उनके कमरे से बाहर निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया।
मायावती का दलित आरक्षण पर फोकस
2024 के चुनाव के नतीजों के बाद मायावती को इस बात का डर सता रहा है कि कहीं बसपा के वोट बैंक में इंडिया ब्लॉक की सेंध न लग जाए और वे अपने मूल वोटरों को बचाने की कोशिश में जुट गई हैं। पिछले महीने भी उन्होंने गेस्टहाउस कांड का मुद्दा उठाकर कांग्रेस से सपा के साथ गठबंधन पर सवाल उठाए थे।
मायावती ने राहुल गांधी की अमेरिका यात्रा के दौरान आरक्षण पर की गई टिप्पणियों की भी आलोचना की। बीएसपी लगातार दलितों और पिछड़ी जातियों से संपर्क कर रही है और उन्हें बता रही है कि दूसरी पार्टियां उनके वोट के लिए काम करती हैं, जबकि मायावती उनके हितों के लिए आवाज उठाती हैं।
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(वीरेश पांडे के इनपुट के साथ)