रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज (2 अगस्त) कहा कि अहमदाबाद-मुंबई हाई-स्पीड बुलेट ट्रेन परियोजना पर निर्माण कार्य जोरों पर चल रहा है और 320 किलोमीटर लंबे हिस्से पर वायडक्ट पिलर का काम पूरा हो चुका है।
वैष्णव ने राज्यसभा में एक पूरक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि इसके अलावा दोनों पश्चिमी शहरों के बीच 508 किलोमीटर की दूरी पर आठ नदियों पर स्टेशनों और पुलों का निर्माण कार्य भी अग्रिम चरण में है।
हालांकि मंत्री ने परियोजना के लिए किसी समय सीमा के बारे में कोई जवाब नहीं दिया, जो पहले ही विलंबित हो चुकी है, लेकिन उन्होंने कहा कि कोविड के दौरान व्यवधान के बावजूद, समय की रिकॉर्ड उपलब्धि के साथ 320 किलोमीटर का निर्माण किया गया है। उन्होंने कहा कि बुलेट ट्रेन तकनीक जटिल और उन्नत है और इसे अपनाने, हमारे इंजीनियरों को प्रशिक्षित करने और एक औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
इस भारतीय परियोजना की चर्चा विश्व स्तर पर हो रही है, क्योंकि इस पर काम तेजी से चल रहा है और कई नवाचार भी किए गए हैं।
वैष्णव ने कहा, “ठाणे (महाराष्ट्र) में सतह से 50 मीटर नीचे एक समुद्र के नीचे सुरंग का निर्माण भी शुरू कर दिया गया है। इसके अलावा आठ नदियों पर पुलों के निर्माण का काम भी अग्रिम चरण में है।”
भाजपा के बाबूराम निषाद के सवाल का जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि बुलेट ट्रेन में दो श्रेणियां होंगी- एग्जीक्यूटिव क्लास और सामान्य चेयर कार। तृणमूल कांग्रेस के मोहम्मद नदीमुल हक ने जानना चाहा कि क्या परियोजना की समयसीमा 2022 के शुरुआती लक्ष्य से कई बार बढ़ाकर 2027 की गई है।
हालांकि मंत्री ने देरी का जिक्र नहीं किया और कहा कि बुलेट ट्रेन एक जटिल तकनीक है और कई देशों को इस परियोजना को पूरा करने में 20 साल से अधिक का समय लगा है।
उन्होंने कहा, “कोविड के दौरान व्यवधान के बावजूद, इतने कम समय में 320 किलोमीटर का निर्माण किया जाना एक रिकॉर्ड उपलब्धि है।”
कांग्रेस सदस्य राजीव शुक्ला ने पूछा कि सरकार समुद्र के नीचे का रास्ता क्यों अपना रही है, जिससे निर्माण में अधिक समय लगता है और उन्होंने सतही रास्ता अपनाने का सुझाव दिया। वैष्णव ने कहा, “इस परियोजना में कोई बाधा नहीं है। परियोजना जटिल है और डिजाइनिंग चरण में सावधानी बरतनी होगी और ऐसा करने के बाद काम सुचारू रूप से चल रहा है।”
झामुमो के सरफराज अहमद ने पूछा कि क्या सरकार की पूर्व के पिछड़े इलाकों को भी इसी तरह के हाई स्पीड रेल कॉरिडोर से जोड़ने की योजना है।
मंत्री ने कहा, “हमारा ध्यान इस जटिल और उन्नत प्रौद्योगिकी को अपनाने, हमारे इंजीनियरों को प्रशिक्षित करने और एक औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने पर है।”
वैष्णव ने कहा कि शुरुआत में गर्डर उठाने वाली बड़ी क्रेन के लिए तकनीक आयात की जाती थी, अब इसे भारत में ही डिजाइन किया जाता है। मंत्री ने कहा कि भारत जैसे आबादी वाले देशों ने एलिवेटेड रेलवे कॉरिडोर के लिए इसी तरह की रणनीति अपनाई है। उन्होंने कहा कि भविष्य में देश को इस बारे में फैसला करना होगा।
उन्होंने कहा, “जब भी कोई बुलेट ट्रेन परियोजना आती है, तो वह 100-150 किलोमीटर की यात्रा के समय को 15-20 मिनट में कम करके चार से पांच शहरों की अर्थव्यवस्थाओं को एक संयुक्त अर्थव्यवस्था में जोड़ती है।”
उन्होंने कहा, “चाहे चीन हो, जापान हो, दक्षिण कोरिया हो, ताइवान हो, सभी ने ऐसा किया है। यह एक बहुत ही जटिल तकनीक है।” पहली बुलेट ट्रेन परियोजना अहमदाबाद से मुंबई के बीच आ रही है और यह जापान के सहयोग से आ रही है, जो इस तकनीक में अग्रणी है।
उन्होंने कहा, “इस परियोजना के विकास के साथ ही देश में भूकंपरोधी वायडक्ट प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में एकीकरण प्रौद्योगिकी विकसित हो गई है। इसके अलावा, 1,100 टन वजन वाले 40 मीटर फुल स्पैन गर्डर भी रखे गए हैं। भारत में भारी वजन वाले क्रेनों के लिए भी प्रौद्योगिकी विकसित की जा रही है।”
सुरक्षा से जुड़े एक अन्य सवाल का जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि भारतीय रेलवे ने पिछले 10 सालों में 43,000 किलोमीटर रेल लाइन का नवीनीकरण किया है। रेलवे अब लंबे रेल पैनल बिछाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और 2014 से 2024 तक करीब 68,000 किलोमीटर रेल लाइन बिछाई जा चुकी है।
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