एक चौंकाने वाले घटनाक्रम में, सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका के लिए व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने वाले एक व्यक्ति ने न्यायाधीशों को धमकी दी कि अगर उन्होंने उसकी याचिका खारिज कर दी तो वह आत्महत्या कर लेगा। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, संजय कुमार और आर. महादेवन की पीठ उस व्यक्ति की सुनवाई कर रही थी जिसने दावा किया था कि वह इंजीनियरिंग कॉलेजों में जारी समस्याओं के समाधान के लिए दर-दर भटक रहा है।
बिना वकील के पेश हुए व्यक्ति ने अदालत को बताया कि उसने आईआईटी हैदराबाद में आवेदन किया था, लेकिन दो राउंड के बाद उसे बाहर कर दिया गया। उसने भारत के प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थानों में छात्रों की आत्महत्या, मानसिक उत्पीड़न, संकाय भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी, भेदभाव, भ्रष्टाचार और आरक्षण मानदंडों के उल्लंघन जैसे विभिन्न मुद्दों को उजागर करते हुए एक याचिका दायर की।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने उनकी याचिका पर गौर करने के बाद उनसे पूछा कि वास्तव में उनकी शिकायत क्या है।
न्यायमूर्ति खन्ना ने टिप्पणी की, “बहुत सारे प्रतिवादी हैं, आप हमें भी प्रतिवादी बना दीजिए!” उन्होंने याचिकाकर्ता से आगे कहा कि जिस तरह से याचिका तैयार की गई है, उससे उन्हें कोई फायदा नहीं होगा।
याचिकाकर्ता ने न्यायाधीशों से कहा था कि, सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल, याचिका में प्रधानमंत्री और कैबिनेट सचिव को प्रतिवादी बनाया गया है।
न्यायमूर्ति खन्ना ने उन्हें समझाया कि जिस तरह से याचिका तैयार की गई है, उन्हें किसी भी न्यायाधीश के समक्ष इस तरह का कोई उपाय नहीं मिलेगा।
इसके बाद याचिकाकर्ता ने अदालत को धमकी दी कि यदि अदालत ने उसकी याचिका खारिज कर दी तो वह आत्महत्या कर लेगा।
इस पर जस्टिस खन्ना ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह कोर्ट में इस तरह की बातें न करें। जज ने कहा, “आप इतने कमज़ोर नहीं हैं।”
याचिकाकर्ता ने फिर कहा कि वह आत्महत्या कर लेगा। इस बिंदु पर न्यायमूर्ति खन्ना ने व्यक्ति से कहा कि वह न्यायालय के साथ अपनी सीमा न लांघे और वह न्यायालय को इस तरह से धमका नहीं सकता। उन्होंने व्यक्ति को आगे सलाह दी कि वह सर्वोच्च न्यायालय से कानूनी सहायता प्राप्त करे। न्यायाधीश ने व्यक्ति से कहा कि उसे कुछ परामर्श की आवश्यकता है और वह कानूनी सहायता के लिए संपर्क कर सकता है।
सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका को अस्पष्ट बताते हुए खारिज कर दिया।